हिंदी किताबों का कोना

आज़ादी के बाद की प्रकाशित चर्चित-दिलचस्‍प किताबें.. जो सामाजिक दुर्भाग्‍य से अब विलुप्‍तप्राय हैं.. उन्‍हें सहेजने-संजाने, याद करने का एक छोटा प्रयास..

Saturday, 16 July 2016

The way of the world

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पचास का शुरुआती दौर. चौबीस साल का निकोलस बुवीये, अपने कलाकार संगी के साथ टुटही गाड़ी और टूटे संसाधनों के साथ, हे हो, ले हो की पगलेटई में, ज...
Tuesday, 15 November 2011

दबे पाँव

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शेरजंग  की शानदार किताब  ' मैं घुमक्कड़ वनों का '  पढ़ने के बाद उनकी दूसरी किताबों को पढ़ने की भूख लिए - लिए जब मैं मित्र  बोध...
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Friday, 10 July 2009

पढ़ने का सुख

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पढ़ी थी बरसों पहले ये किताब । नाम याद नहीं था बस इतना याद था कि कुछ मीठा सोता बहा था मन में तब । कुछ भाव अटके थे , कोई देहात का गीत फँसा था ,...
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Monday, 4 May 2009

किस्म-किस्म के आम | TSALIIM

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किस्म-किस्म के आम TSALIIM आम की बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने, धन्यवाद
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Thursday, 9 April 2009

चांगदेव के आनन्‍दोत्‍सव

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“कहीं तो कुछ कमी रहनेवाले लोग अपने-आप जीने के स्‍तर को अधूरा मानकर उसके ऊपर कोई स्‍तर है क्‍या ढूंढ़ते रहते हैं. चांगदेव, नारायण, शंकर और ना...
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Thursday, 16 October 2008

तिलकुट-हिलकुट

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जय गोविन्‍दम्, जय गोपालम् जय अकालम्, जय अकालम्. गली-गली में शोर है अदिगवा बुकरचोर है. बुकर खरी का बोरा है निजविभोर रस-होरा है. चिरकुटई चापाक...
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Sunday, 24 August 2008

इसे रात मत कहो

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डोंट कॉल इट नाईट लेखक: अमोस ओज़ प्रकाशक: विंटेज उन्नीस सौ नवासी नेगेव डेज़र्ट , तेल केदार .... गर्मियों का मौसम । छोटा सा सेटलमेंट । लम्बे समय...
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Tuesday, 15 April 2008

भीष्म साहनी की "मेरे साक्षात्कार"

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किसी भी लेखक की रचनायें ही लेखक का प्रतिनिधित्व करतीं है लेकिन उक्त लेखक से जुड़े संस्मरण, रचना यात्रा, निजी संघर्ष भी लेखक की रचनाओं से कम ...
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अरे, ओ तोप के पोपचिओ, सुनते हो, कान के बहरिओ?..

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इस ब्‍लॉग के अपने आखिरी पोस्‍ट पर आयी एक प्रतिक्रिया के जवाब में भैया चंद्रभूषण ने ज़रा झल्‍लायी आवाज़ में हिंदी किताबी कोने की दिनों-दिन ...
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Wednesday, 9 April 2008

कौन देस से 'देशनिकाला'

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फिल्मी दुनिया के इर्दगिर्द बुनी गई रचनाएं हिंदी में ज्यादा नहीं हैं और जो हैं वे सहज नहीं हैं। सुरेंद्र वर्मा की 'मुझे चांद चाहिए' ह...
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