आज़ादी के बाद की प्रकाशित चर्चित-दिलचस्प किताबें.. जो सामाजिक दुर्भाग्य से अब विलुप्तप्राय हैं.. उन्हें सहेजने-संजाने, याद करने का एक छोटा प्रयास..
जय गोविन्दम्, जय गोपालम् जय अकालम्, जय अकालम्. गली-गली में शोर है अदिगवा बुकरचोर है. बुकर खरी का बोरा है निजविभोर रस-होरा है.चिरकुटई चापाकल महानद कहाया संवेद-दलिद्दर करिखा मगध सजाया.
शानदार, जानदार कविता।
सब तरफ़ गाली खा रहा है .. (बेचारा?)
तिलकुट हिलकुट काजवाब नहीं भाई।लो जी बुकर की देशी बधाई।।
अदिगवा बुकरचोर है???????????why??????
कहाँ हो कवि? ऐसा लगता है मित्रता का कोना तुम गोलाकार ही रखोगे!
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
Goog Blog!Sanjay Suman
Pramod ji,Are dhang kee koi kavita likhiye.kavita khali tukbandee aur logon ko gariyane ka nam naheen hai.Hemant Kumar
ggod,sawal kavita ka nahi udgaaron ke khanipan ka hai.badhai aur dhanyavaad.aapka hi dr.bhoopendra
शानदार, जानदार कविता।
ReplyDeleteसब तरफ़ गाली खा रहा है .. (बेचारा?)
ReplyDeleteतिलकुट हिलकुट काजवाब नहीं भाई।
ReplyDeleteलो जी बुकर की देशी बधाई।।
अदिगवा बुकरचोर है???????????why??????
ReplyDeleteकहाँ हो कवि? ऐसा लगता है मित्रता का कोना तुम गोलाकार ही रखोगे!
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteGoog Blog!
ReplyDeleteSanjay Suman
Pramod ji,
ReplyDeleteAre dhang kee koi kavita likhiye.kavita khali tukbandee aur logon ko gariyane ka nam naheen hai.
Hemant Kumar
ggod,sawal kavita ka nahi udgaaron ke khanipan ka hai.badhai aur dhanyavaad.
ReplyDeleteaapka hi
dr.bhoopendra