Sunday 24 August, 2008

इसे रात मत कहो

डोंट कॉल इट नाईट

लेखक: अमोस ओज़

प्रकाशक: विंटेज

उन्नीस सौ नवासी नेगेव डेज़र्ट , तेल केदार .... गर्मियों का मौसम । छोटा सा सेटलमेंट । लम्बे समय तक साथ रहने वाले साठ साल के सिविल इंजीनियर थियो और उनसे काफी छोटी स्कूल टीचर नोआ के बीच का बिखरता टूटता प्रेम संबंध । नोआ का छात्र इमानुएल की मुश्किल समय में अचानक मौत और उससे आये तूफान को झेलता तेल केदार का समुदाय और उस तूफान के बीच में नोआ और थियो ।

अमोस ओज़ के कहन में नाज़ुक बारीकी है , शाम का धूसर धुँधलाया रंग है , एक चटक उदासी है , रेगिस्तान का विस्तार है । जैसे बीती रात के अँधेरे में किसी खराशदार आवाज़ की संगत में किसी तकलीफ भरी दास्तान का बिना उतार चढ़ाव किस्सा हो , जब समय का हिसाब न हो , जब उँगली बढ़ाकर आप लोगों को छू सकें , उनकी तकलीफ अपनी आत्मा पर महसूस कर सकें । ऐसी ही कहानी अमोस कहते हैं । उलझती महत्त्वकांक्षा का, टूटते संबंधों का , छोटे कस्बे के आम जीवन का , मन के अंतरलोक का । और इतने प्यार से कहानी कहते हैं , इतने नज़ाकत से , ऐसे सरल हास्य से कि संबंध की बुनावट अपने हरेक परत और रेशे में जितनी उजागर होती है उतनी ही गोपन भी होती जाती है ।

अमोस ओज़ के बारे में:



और इसका एक पन्ना सुनिये:



एक और:



( कोना बहुत दिनों से खाली था । फिर लगा कि किसी भी किताब की चर्चा की जाये । रविन्द्र व्यास ने वेब दुनिया में किताबी कोना के बारे में लिखते हुये गीत चतुर्वेदी की टिप्पणी से समापन किया था ..जो सही लगा । तो हिन्दी न सही अंग्रेज़ी या कोई और भाषा ही सही ..लिखें हमसब ..सन्नाटे को तोड़ते रहें .. बताते रहें कि पढ़ाई है निरंतर )

5 comments:

  1. शुक्र है, मुहूर्त निकला. अच्‍छी किताब लेकर आईं.

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  2. ek achchi kitab ke baare mein batane ke liye shukriya...

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  3. हिंदी ब्लॉग संसार को अमोस ओज़ से सबसे पहले अनिल रघुराज ने एक बेहतरीन पोस्ट के माध्यम से मिलवाया था :

    http://diaryofanindian.blogspot.com/2008/02/blog-post_19.html

    फिर प्रमोद ने 'अमोस का दिल और दुनिया' शीर्षक से उनकी किताब 'अ टेल ऑव लव एण्ड डार्कनेस' का संक्षिप्त-सा परिचय दिया :

    http://azdak.blogspot.com/2008/02/blog-post_20.html

    और अब आपने 'डोंट कॉल इट नाइट' पर अपनी संक्षिप्त सी परिचयात्मक टिप्पणी और बेहद अच्छे पाठ के जरिये इस अत्यंत महत्वपूर्ण लेखक के साहित्य से हिंदी पाठकों को परिचित कराने का ज़रूरी काम किया है .

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  4. प्रत्यक्षाजी, चलिए आपने फिर से शुरूआत की और बेहतर शुरुआत की। सिलसिला जारी रहे, यही कामना करता हूं।

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  5. बहुत अच्‍छा अनुभव. हम सब पढ़ने वालों के लिए एक सौगात की तरह हो रहे हैं इस तरह के ब्‍लाग जहां आप अपनी पसंदीदा किताबों, संगीत रचनाओं और अनूठी तस्‍वीरों को आपस में शेयर करते हैं और हम इस आपा धापी के कठिन दौर में इन रचनाओं से अपने घर बैठे रू ब रू हो पाते हैं. विश्‍वास है, ये क‍ड़ी और आगे बढेगी
    सूरज

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