पचास का शुरुआती दौर. चौबीस साल का निकोलस बुवीये, अपने कलाकार संगी के साथ टुटही गाड़ी और टूटे संसाधनों के साथ, हे हो, ले हो की पगलेटई में, जेनेवा से निकलकर खैबर पास तक पहुंचता है. ऐसी पगलेटई को हम प्रेम से लोपते हैं. लोपने को एक पीडीएफ का मारा हुआ फाइल पड़ा है, मगर हम हार्ड कापी की राह तक रहे हैं, इसलिए तक रहे हैं कि राहुल पांड़े आती अपनी नई तनख्वाह को ताक रहा है.
Suggested by
Pramod Singh
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