आज़ादी के बाद की प्रकाशित चर्चित-दिलचस्प किताबें.. जो सामाजिक दुर्भाग्य से अब विलुप्तप्राय हैं.. उन्हें सहेजने-संजाने, याद करने का एक छोटा प्रयास..
जय गोविन्दम्, जय गोपालम् जय अकालम्, जय अकालम्. गली-गली में शोर है अदिगवा बुकरचोर है. बुकर खरी का बोरा है निजविभोर रस-होरा है.चिरकुटई चापाकल महानद कहाया संवेद-दलिद्दर करिखा मगध सजाया.