जय गोविन्दम्, जय गोपालम्
जय अकालम्, जय अकालम्.
गली-गली में शोर है
अदिगवा बुकरचोर है.
बुकर खरी का बोरा है
निजविभोर रस-होरा है.
चिरकुटई चापाकल महानद कहाया
संवेद-दलिद्दर करिखा मगध सजाया.
Thursday, 16 October 2008
तिलकुट-हिलकुट
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