Thursday, 13 March 2008

एक पन्ने का मज़ा लीजिये ... सुनिये....

किताब का नाम : निकीता का बचपन
लेखक : अलेक्सई तोलस्तॉय
अनुवादक : मदन लाल 'मधु'
चित्रकार : व. कानाशेविच
प्रकाशक
: प्रगति प्रकाशन , मॉस्को
किशोर साहित्य पुस्तकमाला


यह किताब लेखक ने अपने बेटे निकीता अलेक्सेयेविच तोलस्तॉय को सस्नेह समर्पित किया है और अंतिम पन्ने पर प्रकाशक का एक संदेश है

पाठकों से
प्रगति प्रकाशन इस पुस्तक की विषय वस्तु , अनुवाद और डिज़ाईन संबंधी आपके विचारों के लिये आपका अनुगृहित होगा।
आपके अन्य सुझाव प्राप्त करके भी हमें बड़ी प्रसन्नता होगी। हमारा पता है

21 ज़ूबोव्स्की बुलवार
मास्को , सोवियत संघ


(अब ये पता , पता नहीं है भी कहीं )



खैर , इसके कुछ अंश का मज़ा लीजिये .... .




और ये भी .....

10 comments:

  1. ओह कहां से ले आईं आप । रादुगा प्रकाशन मॉस्‍को और प्रगति प्रकाशन की याद आ गयी । हमारे छोटे शहरों में इन प्रकाशनों की प्रदर्शनी लगती थी रूसी पुस्‍तकों की । और हम अपने जेबखर्च का बड़ा हिस्‍सा इनमें डाल देते थे । कितनी कितनी किताबें याद आ गयीं जिनमें एक मुल्‍ला नसीरूद्दीन भी थी । जबलपुर वाले घर में शायद अभी भी सुरक्षित है । पुश्किन, गोर्की की कुछ पुस्‍तकें और गणितीय कलाबा़जियों वाली पुस्‍तकें भी याद आईं । प्रगति प्रकाशन ने महान वैज्ञानिक आविश्‍कारों पर भी कुछ पुस्‍तकें छापी थीं । फिर कैशोर्य का वो सपना भी याद आया जिसके तहत हम रूस जाना चाहते थे ।

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  2. वाचन बहुत बढ़िया करती हैं आप, बढ़िया लगा!!

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  3. सुन लिया..मजा ले लिया..आनन्द आ गया..

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  4. अच्‍छा है, भई.. मगर अभी भी सोचता हूं गद्य के ऐसे 'टेक्‍स्‍ट' को 'सुनवाना' ही हो तो साथ-साथ टाइप में भी उपलब्‍ध करवाना शायद ज़्यादा बेहतर चॉयस होता..

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  5. हमने तो पूरा जखीरा अभी तक बेहद प्यार से सहेज कर रखा है. तोल्स्तोय, गोर्की, पुश्किन, दोस्तोयेव्स्की जैसे बड़े नामों से लेकर बच्चों के लिए 'साबुन-पानी जिन्दाबाद', 'किस्सा मछली मछुए का', 'पापा जब बच्चे थे'. बचपन से इन्हीं सब को पढ़ते सुनाते आ रहे हैं. गणित और विज्ञान की भी कम से कम दो सौ किताबें पिताजी के कलेक्शन में थीं. अब कोई पच्चीस बची हैं.

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  6. वाचन अच्छा लगा.

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  7. वाचन बढिया किया है प्रत्यक्षा आपने --

    प्रमोद भाई का सुझाव है जिसके तहत
    गध्य भी रखियेगा --

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  8. i beg to differ, i think there's hardly any need to provide text when u r reading so well. i really enjoyed ur style!

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  9. धन्यवाद,
    क्योंकि आपने प्रगतिशील पुस्तकों से रिश्ता पुन: जोड़ दिया.

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  10. सुन्दर। शुक्रिया।

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