tag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post4348218521395359643..comments2023-08-05T15:53:42.306+05:30Comments on हिंदी किताबों का कोना: किन-किन और किस तरह के लेबलों का विभाजन चलाया जाये?Kitaabi Lalhttp://www.blogger.com/profile/03372320008604154321noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-23505035234930711622007-12-06T00:04:00.000+05:302007-12-06T00:04:00.000+05:30समझ गया. तो भाई किताबी लाल शुरू कीजिये ताकि लाइन ल...समझ गया. तो भाई किताबी लाल शुरू कीजिये ताकि लाइन लेन्ग्थ का पता चले.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-80047700871599723652007-12-05T21:38:00.000+05:302007-12-05T21:38:00.000+05:30इरफ़ान मियां, आपकी या जाने किसकी बलाओं से हम अलाय-...इरफ़ान मियां, आपकी या जाने किसकी बलाओं से हम अलाय-बलाय तो लिखेंगे, शायद उसीमें कुछ काम का भी निकल जाये (माने आपके काम का). रही बात वार्षिक विभाजन की, तो ऐसा मोह न पालिए. फिर यहां वही ख़तरा होगा कि हम इन कुशवाहा और उन कांतों के किस्से दोहराना चालू करेंगे. और पचास वाला विभाजन इसलिए है कि कम-अज-कम वह ऐसा डिविज़न है कि उसके बाद की किताबें कुछ-कुछ हमारे अवचेतन में दर्ज़ हैं. जनरल टर्म्स में कह रहा हूं. उसके पहले की दुनिया , कि उसके बारे में आप ठोस-ठोस राय बनायें, हमारे लिए कुछ घुंधली है. इस विभाजन के पीछे आइडिया यही था.Kitaabi Lalhttps://www.blogger.com/profile/03372320008604154321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-13342849117243649322007-12-05T18:40:00.000+05:302007-12-05T18:40:00.000+05:30Dekhiye dashak se achchhaa hai ki varsh kaa lebel ...Dekhiye dashak se achchhaa hai ki varsh kaa lebel lagaayein.Kyonki har varsh mein kaee kitaabein mileingee.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-28162660513139480822007-12-05T12:17:00.000+05:302007-12-05T12:17:00.000+05:30मुझे ये आज़ादी का कट ऑफ़ इयर समझ में नहीं आया. क्या ...मुझे ये आज़ादी का कट ऑफ़ इयर समझ में नहीं आया. क्या इसका कुछ ख़ास मक़सद है. बाक़ी ठीक है. मस्त है.उम्मीद है कि अब किताबी लाल अलाय-बलाय लिखने के बजाय कुछ ढंग की बात लिखेंगे.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-64320170545798182502007-12-02T22:30:00.000+05:302007-12-02T22:30:00.000+05:30नुक्ते की बात पर स्वयं मैं अभी भी संशयग्रस्त हू...नुक्ते की बात पर स्वयं मैं अभी भी संशयग्रस्त हूं. रही बात ऐसी मोहिनी किताबों की जिनके प्रकाशन की न तिथि याद है न प्रकाशक का नाम.. तो भइया, ऐसी किताबों के लिए एक लेबल रखें, 'भूली-बिसरायी' या ऐसा ही कुछ.. ये प्रॉबलम नहीं.Kitaabi Lalhttps://www.blogger.com/profile/03372320008604154321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000020905032273369.post-58787736444751390672007-12-02T19:37:00.000+05:302007-12-02T19:37:00.000+05:30किताबी लाल जी हम नुक्तों के लेकर थोड़े सेन्टीमेन...किताबी लाल जी हम नुक्तों के लेकर थोड़े सेन्टीमेन्टल हैं । पहले भी कह चुके हैं कि नुक्ता होना चाहिए । डॉट हो या पूर्ण विराम क्या फर्क पड़ता है । रही बात दशक के हिसाब से विभाजन की तो भैया किताबी लाल जिन किताबों को भुला बिसरा दिया गया है उनका साल कैसे याद आएगा । हमारे मन में इत्ती सारी किताबों की याद है कि क्या कहें । पर ना तो उनके प्रकाशक का नाम याद है और ना ही प्रकाशन के साल या दशक का । बताईये क्या करें ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.com